Aditya L1 अपनी मंजिल पर पहुंच गया ।

Aditya L1 और सौर मंडल में 4 महीने बाद अपनी मंजिल पर पहुंच गया है। पंतप्रधान नरेंद्र मोदी जी ने इस बात पर मीडिया प्लेटफॉर्म पर बधाई दी है । Aditya L1 मिशन की कामयाबी में इस्र का पहला सूर्या मिशन सफलतापूर्वक अपनी तय जगह पर पहुंच गया है। यह मिशन सबसे जटिल अभियानों में से एक था। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इस्रो ने एक बार फिर असाधारण उपलब्धि प्राप्त की है। हमारे पंतप्रधान मोदींजी ने सूर्या मिशन Aditya L1 सफलतपूर्व सूर्या के लाग्रांज पॉइंट पर पाहुंचने की खबर उन्हेंने सोशल मीडिया पर बता दी है। Aditya L1 2 दिसंबर 2023 को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के द्वारा लांच किया गया था। यह लाग्रांज पाॅइंट L1 पर स्थित है।

यह एक सौरमंडल मिशन है। यह मिशन बिते साल सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया था । यह एक लाग्रांज पॉइंट पर पहुंचने के लिए 5 महीने का समय लगा इन 5 महीनों में Aditya L1 ने 15 लाख किलोमीटर का सफर तय किया इस्रो ने बताया है कि आदित्य सैटेलाइट को हैलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है । इस मिशन के सफ़लता के बाद भारत ने अपनी पहली सौर वेदशाला धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थापित कर दी है। इस मिशन में इस्रो का कुल खर्चा 400 करोड़ तक हुआ है । हमने कोई वर्ष तक सूर्या के प्रभाव के बारे में अहम् जानकारी पृथ्वी पर उपलब्ध कराता रहेंगा सूर्य आज भी काई गुढ रहस्य अपने में समेटे हुए है।

L1 मतलब क्या है?

L1 का मतलब लाग्रांज पॉइंट है हमने स्कूल में विज्ञान में न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण ने सबको सताया होगा बाकी कुछ याद होना हो प्रति न्यूटन का तीसरा नियम सबको पता है हर क्रिया के लिए एक समान और सकारात्मक प्रतिक्रिया होती है आसान भाषा में समझा जाए तो सूर्य का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी को प्रभावित करता है पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण भी सूर्य को प्रभावित करती है पृथ्वी और सूरज के गुरुत्वाकर्षण गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे से कठिन युद्ध का खेल खेलते रहते हैं और एक बिंदु ऐसा होता है जहां पर दोनों के गुरुत्वाकर्षण बल दूसरे को रद्द करते हैं करते रहते हैं ऐसे कुल 5 प्वाइंट अस्तित्व में है जीने एल1 एल2 एल3 एल4 और एल5 ऐसे नाम दिया गया है ऑल्टो प्वाइंट प्रति नासा का सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोपजेम्स वेब टेलीस्कोप है। जो हमारे यूनिवर्स की सुंदर तस्वीर खिंचता हैं।

ये L प्वाइंट स्पेशल होते हैं और इसीलिये इन्हें अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना जाता है। L1 प्वाइंट पर होने वाला पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल और सूरज का गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को कैंसिल आउट कर देगा जिसे आदित्य एल1 को ऑर्बिट में रखना आसान होगा। L1 सूरज को ऑब्जर्व करने के लिए एक फ्रंट रो सीट है । जहां से सूर्या का 24/7 व्यू मिलता है। सोलर की एक्टिविटी को मोनेटाइज किया जा सकता है सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात यह है एल1 प्वाइंट पर स्टडी रहने के लिए हमें सबसे कम इंधन लगता हैं।

क्या करेगा Aditya L1

आदित्य एल 1 सूरज के कोरोना को स्टडी करेगा। कोरोना सूरज का एकदम सबसे बाहरी परत होता है । सूर्य ग्रहण के फोटो में देखने वाली बॉर्डर सन का कोरोना है। सूरज के बीचो बीच उसके कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन होता है । वहा गर्मी सबसे ज्यादा होती है लॉजिक यही कहती है कि कोर से जितना दूर जाओ उतनी गर्मी कम होगी और औसत तापमान 5000 से 7000 डिग्री सेल्सियस होता है। कोरोनो उसके सर्फेस से बाहर होता है। लेकिन कोरोना का तापमान क्या होता है। 1 से 3 मिलियन डिग्री सेल्सियस इतना कोरोनल हिटिंग प्रोब्लम कहते हैं।

कितनी अवधि लगती है ?

भारतीय इसरो ने 2 सितंबर को देश का पहला सूर्या मिशन आदित्य एल्बम लॉन्च किया था। इसको श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पोर्ट्स सेंटर का लॉन्च किया गया था। L1 अपना 4 महीने का समय पूरा करते हुए L1 तक पहुंच जाता है।

For More Updates Visit : https://newznest.com/

Leave a Comment